बिना कोचिंग घर से पढ़ाई कर दीक्षा सिंह ने मारी बाज़ी!

अजमल शाह
अजमल शाह

कहते हैं—इरादे मजबूत हों तो मंज़िल दूर नहीं होती। इस बात को सच कर दिखाया है गोंडा की बेटी दीक्षा सिंह ने, जिन्होंने बिना किसी कोचिंग और बाहरी सहायता के घर से पढ़ाई कर राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में ऑल इंडिया रैंक 1240 (रोल नंबर 610) प्राप्त की है।

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घर बना विद्यालय, माता-पिता बने मार्गदर्शक

दीक्षा ने इस कठिन परीक्षा की तैयारी पूरी तरह घर पर रहकर की। उन्होंने ऑनलाइन संसाधनों, PDFs, YouTube लेक्चर्स और डिजिटल मटेरियल की मदद से खुद को तैयार किया।
उनके पिता राजकुमार सिंह, जो यूपी पुलिस में कार्यरत हैं, ने उन्हें मानसिक संबल दिया, वहीं उनकी मां ने हर दिन उनका हौसला बढ़ाया।

“माता-पिता का समर्थन ही मेरी सबसे बड़ी ताकत बना,” – दीक्षा

दूसरे प्रयास में मिली बड़ी सफलता

दीक्षा ने बताया कि पहले प्रयास में असफलता मिलने के बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। दूसरे प्रयास में उन्होंने बेहतर योजना, टाइम-टेबल और अनुशासन के साथ मेहनत की और सफलता ने उनके दरवाज़े पर दस्तक दी।

योगी सरकार की पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया का जताया आभार

दीक्षा ने अपनी सफलता के पीछे योगी आदित्यनाथ सरकार की निष्पक्ष भर्ती प्रक्रिया को भी श्रेय दिया।

“अगर भर्ती प्रक्रिया निष्पक्ष न होती, तो शायद मेहनत का फल न मिलता। सरकार ने योग्य को सम्मान दिया,” – दीक्षा सिंह

गांव, जनपद और प्रदेश का नाम किया रोशन

दीक्षा की सफलता से उनके गांव, जनपद गोंडा और पूरे उत्तर प्रदेश में गर्व की लहर है। यह केवल एक बेटी की जीत नहीं, बल्कि उन लाखों बेटियों की प्रेरणा है जो सीमित संसाधनों में भी बड़ा सपना देखती हैं।

क्या सीख मिलती है दीक्षा की कहानी से?

  • कोचिंग नहीं, कमिटमेंट जरूरी है

  • पारिवारिक सहयोग ही असली ताकत है

  • सरकारी पारदर्शिता से ही मेहनती युवाओं को मौका मिलता है

  • बेटियाँ गर्व हैं, बोझ नहीं

दीक्षा सिंह की कहानी आज के युवाओं के लिए एक संदेश है —

“अगर आप ठान लें, तो कोई भी दीवार आपके इरादों से ऊँची नहीं होती।”

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